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रक्षा अध्ययन : एक परिचय

रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन: एक इन्फोग्राफिक भारत में रक्षा एवं स...

रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन: एक इन्फोग्राफिक

भारत में रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन: एक अवलोकन

१. रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन: एक परिचय

परिभाषा एवं प्रकृति

रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन एक अंतःविषयक विषय है जिसका मुख्य केंद्रबिंदु राष्ट्रीय सुरक्षा है। यह केवल सैन्य पहलुओं तक सीमित नहीं, बल्कि सुरक्षा के विभिन्न आयामों जैसे राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, और पर्यावरणीय सुरक्षा को भी समाहित करता है।

यह विभिन्न ज्ञान क्षेत्रों (राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास आदि) के सिद्धांतों का समन्वय कर राष्ट्रीय सुरक्षा की जटिलताओं का विश्लेषण करता है।

अंतःविषयक प्रकृति

राजनीति विज्ञान

अर्थशास्त्र

इतिहास

समाजशास्त्र

भूगोल

अन्य

यह सूची रक्षा अध्ययन में योगदान देने वाले विभिन्न अकादमिक क्षेत्रों को दर्शाती है।

२. भारत में प्राथमिक उद्देश्य

भारत में रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन के क्षेत्र के कुछ विशिष्ट प्राथमिक उद्देश्य हैं जो देश की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को दर्शाते हैं। यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा की तात्कालिक आवश्यकताओं और दीर्घकालिक बौद्धिक विकास के बीच संतुलन स्थापित करता है।

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युवाओं को प्रेरणा

युवा पीढ़ी को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करना। यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व और उसमें योगदान देने के अवसरों के प्रति जागरूकता बढ़ाकर देशभक्ति और सेवा की भावना को प्रोत्साहित करता है।

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शोध को बढ़ावा

देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्थापित विभागों, केन्द्रों और स्कूलों के माध्यम से शोध को बढ़ावा देना। यह अकादमिक प्रयास विषय के सैद्धांतिक आधार को मजबूत करता है और समकालीन सुरक्षा चुनौतियों के नवीन समाधान खोजने में सहायक होता है।

३. विश्लेषण के मुख्य क्षेत्र

रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन अपने विस्तृत विश्लेषण के माध्यम से कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को समाहित करता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा की समग्र समझ के लिए अनिवार्य हैं:

🛡️ राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा

🌍 भू-राजनीति

📜 सैन्य इतिहास

🗺️ सैन्य भूगोल

🕊️ शांति और संघर्ष अध्ययन

🌊 आपदा प्रबंधन

💰 रक्षा अर्थशास्त्र

🧪 विज्ञान और प्रौद्योगिकी

🇮🇳 भारत का रक्षा एवं सुरक्षा संगठन

इन क्षेत्रों की विविधता विषय की व्यापकता और गहनता को दर्शाती है, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक दोनों पहलू शामिल हैं।

४. भारत में रक्षा अध्ययन का ऐतिहासिक विकास

भारत में रक्षा अध्ययन का विकास एक क्रमिक प्रक्रिया रही है, जिसे विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और राष्ट्रीय आवश्यकताओं ने आकार दिया है। नीचे इसकी प्रमुख विकास यात्रा दर्शाई गई है।

प्रारंभिक चरण (1940 से पूर्व)

प्राचीन भारत में कौटिल्य के अर्थशास्त्र जैसे ग्रंथों में सैन्य रणनीति का वर्णन। औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश सेना की ज़रूरतों पर केंद्रित प्रशिक्षण।

विकास का प्रारंभ (1940)

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भारत का पहला रक्षा अध्ययन विभाग स्थापित। उद्देश्य: द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में सैन्य रणनीति को समझना।

स्वतंत्रता के बाद (1947-1960)

राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य क्षमता मज़बूती पर ज़ोर। NDA और DSSC जैसे प्रमुख संस्थानों की स्थापना।

विस्तार का दौर (1960-1980)

1962, 1965, 1971 के युद्धों ने अकादमिक ध्यान बढ़ाया। पुणे विवि (1963) और मद्रास विवि (1977) में विभाग स्थापित।

समकालीन युग (1980 से वर्तमान)

1998 के परमाणु परीक्षण और 1999 के कारगिल संघर्ष ने जन रुचि और अकादमिक बहस को बढ़ाया। नए विभाग और केंद्र स्थापित। 2020 के बाद साइबर सुरक्षा, आतंकवाद, अंतरिक्ष सुरक्षा जैसे आधुनिक मुद्दों पर फोकस।

५. यूजीसी विशेषज्ञ समितियाँ और नामकरण

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भारतीय विश्वविद्यालयों में रक्षा अध्ययन की स्थिति की समीक्षा करने और इसके विकास हेतु सिफारिशें देने के लिए समय-समय पर विशेषज्ञ समितियों का गठन किया है। इन समितियों ने विषय के नामकरण और दायरे को परिष्कृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रमुख समितियाँ एवं उनकी सिफारिशें

समिति का नाम गठन वर्ष मुख्य सिफारिशें
डॉ. डी.सी. पावटे समिति 1968 सैन्य विज्ञान विभागों को NCC जैसे प्रशिक्षण केंद्र न बनने देना।
ले. जनरल के.पी. कंदेथ समिति 1978 विषय का नाम 'रक्षा अध्ययन' रखना (सैन्य विज्ञान के बजाय)।
डॉ. मिश्रा समिति 1987 'रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन' नाम अपनाना। पाठ्यक्रम में समानता की कमी को उजागर किया।
एयर कमोडोर जसजीत सिंह समिति 2010 विषय को 'सुरक्षा अध्ययन' पर केंद्रित करना। पाठ्यक्रमों का पुनर्गठन। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नए विभाग।

*स्रोत: रक्षा अध्ययन - एक परिचय.pdf

नामकरण का विकास

प्रारंभिक नाम:

सैन्य विज्ञान

कंदेथ समिति (1978) द्वारा अनुशंसित:

रक्षा अध्ययन

मिश्रा समिति (1987) द्वारा अनुशंसित:

रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन

जसजीत सिंह समिति (2010) द्वारा अनुशंसित फोकस:

सुरक्षा अध्ययन

यह यूजीसी समितियों की सिफारिशों के आधार पर विषय के नाम में हुए क्रमिक बदलाव को दर्शाता है।

६. राष्ट्रीय सुरक्षा की समकालीन समझ

समकालीन विश्व में राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा पारंपरिक सैन्य परिभाषाओं से कहीं अधिक व्यापक हो गई है। रक्षा अध्ययन को इन व्यापक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

व्यापक फोकस क्षेत्र

  • प्रभावशाली राजनय
  • सुरक्षा को एक मानवीय मूल्य के रूप में देखना
  • सैन्य इतिहास का अध्ययन
  • घरेलू राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रवृत्तियाँ
  • सुरक्षा की अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून की भूमिका

ये पहलू दर्शाते हैं कि स्थायी सुरक्षा के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण आवश्यक है।

आधुनिक सुरक्षा चुनौतियाँ (2020 के बाद)

साइबर सुरक्षा

आतंकवाद

अंतरिक्ष सुरक्षा

पर्यावरण सुरक्षा

अन्य गैर-पारंपरिक खतरे

यह सूची रक्षा अध्ययन के तहत आधुनिक सुरक्षा चिंताओं को दर्शाती है।

उत्प्रेरक घटनाएँ और उनका प्रभाव

भारत के हालिया इतिहास में कुछ विशिष्ट घटनाओं ने रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर व्यापक सोच और अकादमिक विकास को महत्वपूर्ण रूप से उत्प्रेरित किया है:

💥

1998 के परमाणु परीक्षण

🏔️

1999 का कारगिल संघर्ष

इन घटनाओं ने सरकारी नीति-निर्माण को प्रभावित किया, व्यापक जन रुचि और अकादमिक बहस को जन्म दिया, तथा नए विभागों और शोध को बढ़ावा दिया।

७. निष्कर्ष

भारत में रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन एक महत्वपूर्ण और गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है। प्राचीन रणनीतिक चिंतन से लेकर आधुनिक साइबर सुरक्षा तक की इसकी यात्रा, देश की विकसित होती सुरक्षा आवश्यकताओं को दर्शाती है। यूजीसी समितियों के मार्गदर्शन और प्रमुख राष्ट्रीय घटनाओं से प्रेरित होकर, यह विषय न केवल सैन्य पहलुओं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक आयामों को भी समाहित करता है।

निरंतर शोध, गहन अध्ययन और आलोचनात्मक विमर्श इस क्षेत्र के विकास और भारत को भविष्य की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने में सक्षम बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

© रक्षा अध्ययन इन्फोग्राफिक. सूचना 'रक्षा अध्ययन - एक परिचय.pdf' पर आधारित।

यह इन्फोग्राफिक केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है।

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